Tuesday, April 5, 2022

विवेचन

बहु जैसी कोई सुखी नहीं ,
बेटी जैसी कोई दुखी नहीं .
बेटा जैसा राम नहीं ,
दामाद जैसा श्रवण नहीं .
मां जैसी भली नहीं ,
सास जैसी छली नहीं .
भाभी जैसी तनी नहीं ,
नन्द से बनी नहीं .
देवर जैसा शकुनी नहीं ,
भाई जैसा कृष्ण नहीं .
पिता जैसा दशरथ नहीं ,
श्वसुर जैसा धृतराष्ट्र नहीं .
संतान जैसा कर्जा नहीं ,
और जीवन से बड़ी सजा़ नहीं ।।
---अनन्या 

No comments: